China News: चीन के एक्शन से पूरी दुनिया हिल गई- यूरोप में प्लांट बंद, जापान की हालत भी हुई खराब

सीएनबीसी इंटरनेशलन की रिपोर्ट के मुताबिक- चीन द्वारा लगाए गए रेयर अर्थ (Rare Earth) एक्सपोर्ट कर्ब्स का असर अब दुनिया की ऑटो इंडस्ट्री पर सीधा दिखने लगा है. यूरोप और जापान की कई ऑटो कंपनियों ने उत्पादन रोक दिया है या कभी भी रोकने की स्थिति में आ गई हैं. चीन के इस कदम के पीछे अमेरिका द्वारा बढ़ाए गए टैरिफ को जवाब माना जा रहा है. ऐसे ही हालात भारत के भी हैं यहां भी प्रोडक्शन थमने की खबरें आ रही हैं.

 

क्या है मामला- जिससे पूरी दुनिया हिल गईं-

रेयर अर्थ ऐसे केमिकल मिनरल्स होते हैं जिनका इस्तेमाल इलेक्ट्रिक मोटर्स, गाड़ियों के इंजन, बैटरियों और कई डिफेंस सिस्टम में होता है.

इनके बिना ईवी और हाई-टेक ऑटोमोबाइल्स बनाना मुश्किल है. चीन दुनिया का 60% रेयर अर्थ उत्पादन करता है, इसलिए उसकी पॉलिसी का सीधा असर सप्लाई चेन पर होता है.

क्या हो रहा है यूरोप में फिलहाल-

यूरोप की ऑटो सप्लायर यूनियन CLEPA ने सीएनबीसी को  बताया है कि चीन से रेयर अर्थ मैग्नेट्स की सप्लाई में अड़चन के कारण कई प्रोडक्शन यूनिट्स बंद करनी पड़ी हैं.

CLEPA के मुताबिक अब तक केवल 25% एक्सपोर्ट लाइसेंस ही चीन ने मंजूर किए हैं.

जर्मनी की VDA (ऑटोमोबाइल इंडस्ट्री बॉडी) ने कहा कि अगर स्थिति जल्द नहीं सुधरी, तो प्रोडक्शन पूरी तरह ठप हो सकता है.

VDA अध्यक्ष हिल्डेगार्ड मुलर ने यूरोपीय संघ और जर्मन सरकार से अपील की है कि वे चीन के साथ इस मसले पर हाई लेवल पर चर्चा करें.

जापान की कंपनियों की हालत हुई खराब-

Nissan ने कहा है कि वो जापानी सरकार के साथ मिलकर स्थिति से निपटने के उपाय तलाश रहा है. Suzuki ने अपने पॉपुलर मॉडल Swift का प्रोडक्शन रोक दिया है.

 

Nissan के CEO इवान एस्पिनोसा ने कहा – “हमें भविष्य के लिए वैकल्पिक सप्लाई सोर्स खोजने होंगे और फ्लेक्सिबिलिटी बनाए रखनी होगी.”

जर्मनी की कंपनियां बड़ी मुश्किल में- BMW ने माना कि कुछ सप्लायर्स प्रभावित हुए हैं.Mercedes-Benz ने कहा है कि वो रेयर अर्थ्स की खपत घटाने पर काम कर रही है.Volkswagen फिलहाल स्थिर सप्लाई की बात कह रही है लेकिन वो भी लगातार चीन से लाइसेंस मंजूरी पर नजर बनाए हुए है.

भारत की स्थिति भी हुई खराब-

Bajaj Auto और TVS Motor जैसी बड़ी कंपनियों ने चेतावनी दी है कि अगर यह संकट बना रहा तो उनकी EV प्रोडक्शन जुलाई से पूरी तरह ठप हो सकती है.लगभग 30 आवेदन भारतीय अधिकारियों से क्लियर हो चुके हैं लेकिन चीनी मंजूरी अब भी पेंडिंग है.

चीन ने बढ़ाईं टेंशन-दुनिया में रेयर अर्थ मैग्नेट का 90% उत्पादन चीन करता है.भारत के पास दुनिया का 5वां सबसे बड़ा भंडार (6.9 मिलियन मीट्रिक टन) होने के बावजूद साल 2023 में सिर्फ 2,900 मीट्रिक टन ही उत्पादन हुआ.

अब आगे क्या होने वाला है-सीएनबीसी के साथ खास बातचीत में एक्सपर्ट्स ने बताया कि अगर चीन की पाबंदियां बनी रहीं, तो ग्लोबल ईवी ट्रांजिशन को तगड़ा झटका लगेगा.कच्चे माल की कीमतें बढ़ेंगी, जिससे गाड़ियों के दाम भी ऊपर जा सकते हैं.भारत सहित सभी उभरते बाजारों में भी इसका असर धीरे-धीरे दिखेगा.

कुल मिलाकर-रेयर अर्थ संकट अब एक ग्लोबल सप्लाई संकट बनता जा रहा है. चीन की निर्भरता से निकलने के लिए कंपनियों को स्थानीय और वैकल्पिक सोर्सिंग मॉडल विकसित करने होंगे. सरकारों को भी अब स्ट्रैटेजिक  संसाधनों की सुरक्षा के लिए लॉन्ग टर्म रणनीति बनानी होगी.

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